पिछले साल पंजाब-हरियाणा के खनौरी और शंभू बोर्डर पर हुए दूसरे किसान आंदोलन को एक साल पूरा हो गया है. पिछली फ़रवरी को हज़ारों किसान ट्रैक्टरों पर सवार होकर इस उम्मीद से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के ख़िलाफ 2020-21 में हुए विरोध प्रदर्शन को आगे ले जाएंगे, लेकिन किसानों को हरियाणा में दाख़िल होने से पहले ही रोक लिया गया. आंदोलनरत किसान सभी कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहे थे.
1960 के दशक में हुई हरित क्रांति में नए बीज, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशकों और नई प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से पंजाब के किसानों ने खाद्य उत्पादन में भारी प्रगति की थी. भारत के भौगोलिक क्षेत्र के 2 प्रतिशत से भी कम इलाके में बसा है पंजाब, लेकिन वह देश का लगभग 16 प्रतिशत गेहूं और 11 प्रतिशत चावल पैदा करता है. राज्य के किसानों के सामने मौजूदा चुनौतियों का दस्तावेजीकरण करने के लिए मैंने 2016 से 2024 के बीच पंजाब की कई यात्राएं कीं.